देववसिनी

माँ तू ही चामुंडा तू ही भवानी,
तू कहलाये माँ देववसिनी।
कभी गौरा बनकर प्यार लुटाती,
कभी काली बनकर पाप नाशती।
बहता जहाँ क्षिप्रा का पानी,
तू विराजी उस तट माँ देववसिनी।
तेरी भक्ति में डूबी ये देवास नगरी,
जय हो माँ देववसिनी
शक्ति की भक्ति,
भक्ति की शक्ति दिखेगी इस नवरात्री,
आप भी पधारिये देवास नगरी...।

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